मंयक ध्यानी
लेट-लतीफी, लापरवाही,बतमीजी और बदतर हालात इन शब्दों को सुनते ही उत्तराखंड परिवहन निगम की याद आने लगती है। निगम की बसों से लेकर कंडक्टर औऱ ड्राईवर तक सभी एक ही पटरी पर दौड़ रहे हैं। औऱ उनकी इस दौड़ में पिस रही है आम जनता…आम जनता यानी आप और हम।
पहले आज की ही एक घटना बताता हूं। रोजवेज की एक बस हरिद्वार आईएसबीटी से देहरादून आईएसबीटी के लिए चलती है लेकिन मात्र 40 से 50 किमी. चलने के बाद ही अपना दम तोड़ देती है औऱ मोहकमपुर में बेशर्मी के साथ खड़ी हो जाती है। सवारी परेशान– पूरा किराया देने के बाद भी मंजिल तक न पहुंच पाने की मजबूरी सवारियों की आखों में साफ देखी जा सकती थी।



